साम वन्दना : धी उन्नति
ओ3म् उपह्वरे गिरीणां संगमे च नदीनाम|
धिया विप्रो अजायत ||साम 143 ||
पर्वत गोदी सरिता संगम, बल बुधि सिद्धि के संधाता|
तुम्हें बुद्धि ही विप्र बनाती, लो इससे जोड़ भक्त नाता||
गिरी गिरा ज्ञान सहगामी गुरु,
नदि प्रणव नाद गतिगामि गुरु,
शरणागत सेवक को करते
धी उन्नति का उदयामी गुरु|
नित सदाचरण अनुशासित हों, श्रद्धा से शिष्य ज्ञान पाता|
तुम्हें बुद्धि ही विप्र बनाती, लो इससे जोड़ भक्त नाता||
तुम भले पर्वतों पर जाओ,
वहाँ न तुम आखेट रचाओ,
तुम गुरुओं की संगति पाओ
मत वहाँ प्रदूषण फैलाओ|
श्रुति अध्ययन और प्रवचन से, श्रुति सेवक स्वामी बन जाता|
तुम्हें बुद्धि ही विप्र बनाती, लो इससे जोड़ भक्त नाता||
नदियों के संगम पर जाओ,
केवल मेला नहिं लगाओ,
प्रभु नाद निनादित गुरुओं से
सीख नाद उन्माद भगाओ|
ज्ञान साधना प्रखर बनाकर, मानव मेधावी बन जाता|
तुम्हें बुद्धि विप्र बनाती, लो इससे जोड़ भक्त नाता||
(साम वन्दना)
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दो शब्दों
दो शब्दों के बीच डैश कैसे लगेगा
जैसे: गिरी गिरा (इन दोनों शब्दों के बीच डैश लगाना है)
आर्य
आर्य जी
सादर नमस्ते
सर्व प्रथम तो आपका बहुत 2 धन्यवाद | इतना सुन्दर वेदों का, इतना आकर्षक एवं इतना प्रेरणा दायक गुलदस्ता आप प्रस्तुत कर रहे हैं | प्रात: इनका गान कर लें ,एक बार मध्यान्ह में व एक बार सायंकाल में कर लें, तो वेद मन्त्र भी कण्ठस्थ होने लगेंगे, व कुछ ही दिनों में हम कितने ही वेद मन्त्रों से अच्छी प्रकार से परिचित हो जाएँगे, धनवान बन जाएँगे !
वैसे आप कौन से फांट का प्रयोग करते हैं ? चूँकि मैं Hinglish Typewriter का प्रयोग करता हूं तथा वहां इसकी सुविधा शायद नही है अतः वहाँ मैं English फान्ट में जाकर !, - का प्रयोग करता हूँ अथवा इसे मैमरी में रख कर प्रयोग करता हूँ | इस प्रकार कुछ असुविधाएँ तो हैँ |
आनन्द
मान्यवर
मान्यवर आनन्दजी, नमस्ते
जानकारी देने के लिये धन्यवाद | समझ गया जैसे : गिरी - गिरा
dhanyavaada
Rajendra P.Arya
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01672-239387