साम श्रद्धा : ऋचाओं का प्यार (प्रणेता: देवनारायण भारद्वाज)
ऋचाओं का प्यार
ओ३म यो जागार तमृच : कामयन्ते यो जागार तनु सामानि यन्ति !
यो जागार तमयं सोम आह तवाहमस्मि सख्ये न्योका: !! साम १८२६ !!
सावधान जग में रह पाओ !
तो प्यार ऋचाओं का पाओ !!
तुमने चाही बहुत ऋचायें !
क्या तुम्हें ऋचायें भी चाहें !
पढते सुनते युग बीत गए,
अब श्रुति को कृतियों में लाओ !!
साम गान तो बहुत सुनाया !
जीवन कितना साम बनाया !
जैसी सुन्दर यज्ञ योजना ,
कार्य योजना वही बनाओ !!
विषयों से सोम बचाता है !
प्रभु सोम उसे अपनाता है !
प्रभु सोम भक्त से कह उठते ,
मुझ को अपना मित्र बनाओ !!
राजेन्द्र आर्य
९०४१३४२४८३
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